________________ MA परभागा // 12 // चउ-चार चरिमे-दिवस चरिमना अमिग्यहि-अभिबहना | पण पांच | आगार-आगार | दबविगइ-द्रव्य विगइ | पावरणे-दन मूकवाना | उख्खित्तविवेग-उखिखत्त | नियमि-नियम नवनिव्वीए-निवीमा आठ,नव मुत्तु-मूकीने [विवेगेणं | अठ्ठ-आठ R 50/aapaauBOAD@anpanupaB0/09/8GD/u/ARON चउ चरिमे चउभिग्गहि, पण पावरणे नव निबीए॥ आगारुख्खित्तविवेग, मुत्तु दवविगइनियमिठ्ठ // 17 // शब्दार्थ-दिवस चरिममा चार, अभिग्रहमा चार, वस्त्र मुकवामां पांच, निवीमां नव अथवा आठ आगार जाणवा. वली दैव्य विगइनु नियम करनारने 'उख्खित विवेगेणं' ए आगारने मूकीने बाकीना आठ आगार जाणवा. // 17 // विस्तारार्थ:-दिवसचरिमना पच्चख्खाणने विषे चार आगार जाणवा, अन्निग्रहना पच्चरकाणने विषे चार यागार जाणवा. प्रावरण एटले वस्त्र मूकवाना पच्चख्खाणने विषे पांच आगार जाणवा, निवीना पच्चख्खाणने विषे नव आगार पण होय अने आठ श्रागार पण होय, तिहां ARRAPERana/EARE/avmu/08/20 // 125 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelyg