________________ Napavasaanevaaaaaaaaaaaaawaooo//ANImaavapes पाणस्सना श्रागार न कहेवा. ए चोथो विकल्प. ए चार विकल्प श्रागारना कह्या, अहीं तथा शब्दथी विशेष जाणवू // 10 // इतुच्चिय-एटलाज माटे / विषे / तु-बली . पच्चख्खंति-पच्चरूखाण करे खवण-उपवासने विषे फासुयं-अचित्त सट्टावि-श्रावक पण . तेवारे अंबिल-आयंबिलने विषे चिय-निश्चय थकी / पियंति-पीये अ-वली निवियाइसु-निवि आदिकने जलं-जल तहा-तेमज तिहाहारं-तिविहार इत्तुच्चिय खवणंबिल, निवियाइसु फासुयं चिय जलंतु // - सट्टावि पियंति तहा, पच्चख्खंति य तिहाहारं॥११॥ Papanasanvaasanaompanp/PGDMAAVANDA शब्दार्थ-एटलाज माटे उपवास, आंबिल अने निविआदिकमां श्राव कोए पण साधुनी पेठे निश्चे प्रामुक पाणी पीवं अने तिविहारनुं पच्चख्खाण करवू. // 11 // For Personal Private Lise Only