________________ w 11 तह मज्झपचख्खाणे-सु नपिहु सूरुग्गयाइ वोसिरइ // करणविहीउ न भन्नइ, जहावसीयाइ बियछंदे // 9 // a शब्दार्थ-तेमज मध्यना पचख्खाणमा “सूरे उग्गे विगइओ" इत्यादि पाठ वारंवार न कहेवो ते वोसिरे' ए पाठ पण वारंवार न कहेवो, एटला माटे करवानी विधि आचार्योंए कही नथी. जेम 'आवस्सियाए' ए पाठ बीजा वांदणामां कहेता नथी तेम. // 9 // विस्तारार्थः-तथा ए पद विशेष देखामवावाची बे. मध्यनांबे स्थानक जे विगइ, नीवी अने आयंबिलनुं तथा एकासण, बियासण अने एकलठाणानुं ए बेनांब पच्चख्खापोने विषे पृथक् पृथक् पञ्चख्खाणे सूरे जग्गए विग पञ्चख्खा इत्यादिक पाठ वारंवार न कदेवो, एटले प्रथम जे पच्चख्खाण मांझे, तिहां सूरे जग्गए कहेवो, परंतु पञ्चख्खाण पच्चख्खाण प्रत्ये न कहेवो, तेमज वोसिर तथा वोसिरामि ए पाठ पण अंतने विषे एकवार कहीये, पण वारंवार न कहीये. ए nVINDIVINE // 117 // For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org