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________________ Sllo भा० म. भा० BAtom/RasEOGRAATMapanasamaceourve शब्दार्थ-प्रथम पच्चरुखाण करावनार गुरु " पच्चरुखाइ" एम कहे ए प्रथम विधि. वली पच्चख्खाण करनार शिष्य " पच्चख्खामि" एम कहे, ए बीजो विधि. पछी गुरु "वोसिरह" एम कहे ए बीजो विधि. शिष्य "वोसिरामि" एम कहे, ए चोयो विधि. आर्हि धारेलो उपयोगज प्रमाण छे; परंतु अक्षरनी स्खलना प्रमाण नथी. // 5 // _ विस्तारार्थः-प्रथम गुरु जे पञ्चख्खाणनो करावनार होय, ते पञ्चख्खाइ एम नणे, एटले कहे; ए प्रथम विधि जाणवो. वली शिष्य जे पचख्खाणनोकरनार होय तेपच्चरकामि एम कहे. ए बीजो विधि जाणवो. अने एम संपूर्ण पञ्चख्खाणे गुरु वोसिरई कहे. ए त्रीजो विधि जाणवो अने शिष्य है| जे पञ्चख्खाणनो करनार होय ते वोसिरामि कहे, ए चोथो विधि जाणवो. ए चार विधि कह्या. हां पञ्चख्खाणने विषे करतां तथा करावतां थकां पोताना मननो जे उपयोग एटले मननी धारणा ले तेज प्रमाण जे एटले मनमांहे जे पच्चख्खाण धायुं होय तेज प्रमाण ले. परंतु अदर तेनी बलना ते एटले स्खलना बे. अर्थात् अनानोगने लीधे धारेला तिविहार पच्चख्खाणथी वीजो को चनविहार पच्चख्खापनोज पाठ उच्चरीये, ते वंजण बलना जाणवी ते प्रमाण नथी॥५॥ PARGADARGAivamwasnaviYENGJawri-ena/ARO/ARE 14 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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