________________ Rus/APoe Harinanvetawwawasthapaansaanawanevanaaaavaavaad कडं होय अने बोजे दिने उपवास करे, तेने अन्नत्तनुं पञ्चख्खाण कहीये, पण चोथन्नत्तनुं पच्चख्खाण न कहीये. थने उन्नयकोटि एकासणादिके तो चोयनत्तनुं पच्चख्खाण होयज. इत्यादिक जणाववा माटे चारे विधि देखाड्या // 4 // हवे बीजा पण चार विधि , ते देखा . | भणइ-भणे पञ्चरुखामि-पच्चख्खामि . | उपभोग-उपयोग न पमाणं-प्रमाण नथी गुरु-गुरु सीसो-शिष्य एव-एम इथ्य-इहां वंजण-अक्षर पुण-वली / बोसिरइ-वोसिरह पमाणं-प्रमाण छे | छलणा-स्खलना इति-एमकहे. भणइ गुरु सीसो पुण, पच्चख्खामिति एव वोसिरइ॥ उवओगित्थ पमाणं, न पमाणं वंजणच्छलणा॥५॥ tND/dp/JAANVEEDEVAGass Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org