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________________ awasavamaANGRAISeawasa.varuvewwwana प्रमाण जाणवं, अने अल्प आगार डे माटे अल्पकाल जाणवो. तेवारे शिष्य पूढे ले के पोरिसी तो एक प्रहर काल प्रमाण हे माटे ए नवकारसीने विषे महूर्तध्यादिक काल केम न लीधो ? केम के मुहूर्तध्यादिक काल पण पोरिसोथो अल्प डे माटे बे धमीज मान शा वास्ते लीधुं ? - गुरु उत्तर कहे , के हे शिष्य ! तें कडं ते सत्य बे, परंतु सर्वथी स्तोक काल श्रद्धापच्च. काणनो एक मुहूर्त्तज डे, मुहूर्त्तद्धा श्रद्धा इति वचनात् ते माटे एनुं एक मुहर्तज कालमान जाणq. __ हवे ए नवकारसी पच्चरकाण, सूर्योदय पहेलांज करवु अने नमस्कारे करी पारवं, अन्यथा नंग लागे, नोकारसी करया पनी आगल पोरिसीयादिक थाय, परंतु ते विना न थाय अने यद्यपि नोकारसी विना पोरिसीयादिक करे तो काल संकेत रूप जाणवो. तथा वली वृद्ध संप्रदाये एम कहे जे जे नोकारसी पञ्चकाण जे , ते रात्रे चविहारादिक पञ्चस्काणना तीरणरूप ले एटखे anwaVedoeasRANDVesawenaeementnaataavaameramsaviantava mewanawar inin Education international For Personal & Private Use Only www jainelibrydig
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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