________________ AMB/RBAR@Pramootaporate/OBamvad पारना त्याग रूप ले ते. जिनपूजा व्यापार त्याग तो चैत्यवंदन करवाना अवसरें कहे श्हां अव्य पूजा व्यापार सर्व निवर्तावीने कैवल्य नावपूजारूप चैत्यवंदन स्तवनादिकनो एकाग्र चित्ते करी पाठ करे, ए रीतेत्रण निसिही साचवे. - अथवा मन, वचन अने कायायें करी घर संबंधी व्यापार निषेधवारूप त्रण निसिही देरासरना अग्रद्धारमा कहेवी. अने तेज प्रमाणे मनादिक त्रणे योगें देरासर संबंधी व्यापार त्यागवा श्राश्रयी त्रण निसिही गन्नारामां कहेवी, तथा वली चैत्यवंदनादि कहेवाने अवसरें पण मन वचन कायायें करी जिनपूजा व्यापार त्यागरूप त्रण निसिही कहेवी, ए रीतें दरेक वखतें मन, वचन अने कायाना योगें करी त्रण त्रण निसिही कहेवी, अथवा दरेक वखतें एकज निसिही कदेवी. परंतु घर संबंधी देरा संबंधी अने जिनपूजा संबंधी व्यापार निषेध करीयें ये, एम स मजीने देरासरमा पेसतांज त्रणे निसिही कही देवी नहीं. ए तात्पर्य बे ए प्रथम निसिही त्रिक कधु // 7 // avaneseae/aAD/EDITORADABLEDARB/Sus/SUDARANVENTS For Personal Private Lise Only