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________________ प.भा. ब० 0 // 10 // aurIVANIVASINAVAIMERASHease/aNDas/asavaasasawaivet शब्दार्थ- कारणे आगलथी तप करवू, 2 पाछलथी करवू, 3 एकनी जोडे बीजुं करवू, 4 धारी राखेला दिवसे करचु, 5 आगार रहित करवू, 6 आगार सहित करवू, 7 चार आहारादिक- करवू, 8 वस्तु विगेरेनुं परिमाण करवं, 9 संकेते कर अने 10 काल पच्चख्खाण करवू // 2 // .. . विस्तारार्थः-प्रथम जे कारण विशेष बागलथी करे पण ते दिवसे न करी शके ते अनागत पच्चरकाण ते पर्युषणादिक पर्व श्राव्यानी पहेलांज एवं विचारे जे गुरु, ग्लान, शिष्य अने तपस्वी प्रमुखनुं वैयावच्च महारे कर, पमशे, तेवारे व्याकुलताने लीधे महाराथी अष्टम्यादिक तपश्चर्या यशकशे नही, तो मने लाननी हानि थशे माटे ते पर्व आव्यानी पहलाज गुरु पासे पच्चस्काण लश्ने तप करें ते अनागत नावी पच्चस्काण... वीजें अतिक्रांत पच्चरकाण ते पूर्वोक्त रीते पर्यु णादिक पर्व अतिक्रम्या पली तेहिज कार्यादिकने हेतुये जे पाउलथी अष्टम्यादिक तप गुरुपासे पच्चरकाण लश्ने करे, तेने अतिक्रांत अतीत पच्चस्काए कहीये. 108 For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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