________________ Im/awaVIRavanaanwerestsARVEDANANVanvantauvalikasi ते प्रत्याख्यान एक मूलगुणरूप अने बीजुं उत्तरगुणरूप एवा बे नेदें . तेमां मूलगुणर्नु पच्चरकाण यतिने पंचमहात्रतादि रूप अने उत्तरगुण प्रत्याख्यान तो यतिने पिंमविशुद्धयादिक डे तथा श्रावकने मूलगुण तो पांच अणुव्रतादिकनुं ले थने उत्तरगुणनो शिक्षात्रतादिकर्नु बे. | तथा सामान्य प्रकारे जे अविरतिपणानुं प्रतिपक्ष ते सर्व पच्चरकाण कहीयें. - हवे प्रतिदिन उपयोगीपणा माटे उत्तरगुण प्रत्याख्यान दश प्रकारें होय, ते या ग्रंथना प्रथम द्वारना लेदर अणागयं-अनागत | नियंटि-नियंत्रित | निरवसेसं-निरवशेष संके-सांकेतिक अइकंत-अतिक्रांत अण्णार-अनागार | परिमाणकडं-परिमाणकृत / | अद्वा-काल कोडिसहि-कोटिसहित सागार-आगार सहित अणागय मइकंतं, कोडीसहियं नियंटि अणगारं // सागार निरवसेसं, परिमाणकडं सके अद्धा // 2 // निरवत NDVANDARVARDaowevanamom/anasanasantavastavavave Jain Education international For Personal & Private Use Only