________________ गुरुभा० गुलभा VRD/D/awa/teamRWADISER/NIMosamwaraavan शब्दार्थः-१ इरियावहि, 2 कुमुमिण दुसुमिणनो काउस्सग्ग, 3 चैत्यवंदन, 4 मुहपत्ति पडिलेहग, 5 वे वांदणां, 6 राइयं आलोवे, 7 वे वांदणा, 8 खमासमण, 9 वांदणा 10 पचरूखाण, 11 चार खमासमण अने 12 वे सजाय, एम अनुक्रमे करे ते प्रभात वंदन विधि जाणवो. // 38 // विस्तारार्थः-तिहां प्रथम प्रनातनो वंदनक विधि कहे बे. इहां पहेली (१)इरियापथिकी प्रतिक्रमीने, पडी (2) कुसुमिण दुसुमिण उमाविणी निमित्ते चार लोगस्सनो काउस्सग्ग करे, ते वार पड़ी (3) श्रादेश मागीने, चैत्यवंदन करे, पडी (8) श्रादेश मागीने मुहपत्ति पमिलेहे पनी / (5) वांदणां वे आपे, तेवार पड़ी (6) राश्य आलोए, तेवार पड़ी (7) वे वांदणां आपे. पनी () | अप्नुहिनमि अप्रिंतर राश्यं खामे, पडी (ए) वेवार वांदणां श्रापे, पडी (10) पच्चरकाण करे, पनी (11) चार खमासमण पूर्वक नगवन् श्राचार्यादिक चारने थोन वंदन करे, पठी (12) सद्यायसं दिसाहुँ, सद्याय करूं, ए बे खमासमणे बे आदेश मागी सनाय करे. ए प्रनातवंदनकविधि जाणवो // 30 // // 10 Jain Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org