________________ wasnawadesesuraneouTPS/aspressonsaimam खति-कठीणवचन कि- तज्जाय-तर्जनाकरे | तथ्यगए-त्यांथीज - तुम-तमे | नोसुमणे-सुमनो न याय तह उवदंस निमतण, खद्धा ययणे तहा अपडिसुणणे॥ खद्धत्ति य तत्थगए, किं तुम तज्जाय नो सुमणे // 36 // शब्दार्थ:-तेमज 15 आहारादि बीजाने देखाडे, 16 बीना साधुने प्रथम बोलावीने पछी गुरुने बोलावे, 17 गुरु विना बीजाने मिष्ट खपरावे, 18, पोते मिष्ट खाय, तेमज 19 गुरु बोलावे छता, न सांभले, 20 गुरुने कठण वचन बोले, 21 पोताने संथारे बेठो उत्तर आपे, 22 शुं कहो छो ? एम कहे, 23 तमे करो, एम कहे, 24 तिरस्कार करे, 25 गुरुनो धर्मोपदेश सांभली हर्षित मनवालो न थाय. // 36 // विस्तारार्थः-पन्नरमी तेमज वली अशनादिक चार जे लाव्या होय ते प्रयम बीजा यतिने | देखामीने पनी गुरूने देखामे तो बाशातना थाय, शोलमी तेमज अशनादिक चार लाव्या होय Vancouvewadiuotaawarwwestaemarvatsarvoterstar Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org