________________ RAMVAANWAR/aNaIANAVIGO/AROVARANutantraMANM/ AM पडिक्कमणे-प्रतिक्रमणने विषे अवराह-अपराध | संवरणे-पच्चख्खाण करते / य-वली सज्जाए-सज्जाय भणती वखते पाहुणए--पाहुणा मुनि आवे | उत्तमद्वे-उत्तमार्थे वंदणयं-बांदणां देवाय . काउस्सग्ग-काउस्सग्ग / आलोयण-आलोचना पडिकम्मणे सज्जाए, काउस्सग्गे वराह पाहुणए // आलोयण संवरणे, उत्तमठे य वंदणयं // 17 // // दारं ए // -- शब्दार्थ-प्रतिक्रमणमां, स्वाध्यायमां, कायोत्सर्गमां अने अपराध खमाववामां वांदणा देवा. वली नवा आवेला साधुने आलोचनामां अने मासखमणादि तपरूप संवरमा तथा अंत सैलेखना करता एम आठ कारणे वांदणा देवा. // 17 // विस्तारार्थः-एक प्रतिक्रमणने विषे सामान्य प्रकारे वांदणां देवाय, बीजा स्वाध्यायवाचनादि लक्षण तथा सजाय पढाववाने विषे विधिवांदणां देवाय, त्रीजा पच्चरकाण करवाना कायोत्सर्गने विर्षे एटले आचाम्लादि योगादि पारणे परिमितविगय विसर्जामणी विगयपरिनोगनी sasarvanawanawaranp/etoutAGDARPANDHIM inin Education international For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org