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________________ गु०भा० गु०भा० // 70 // हवे चोथा पूजाकर्म उपर बे सेवकनो दृष्टांत कहे जे. जेम एक राजाना बे सेवक दता ते | गामनी सीमा निमित्ते विवाद करता राजपंथे जाता हता, मार्गमा साधु देखीने प्रशस्त मन, वचन अने कायायें करी एके कयु के " साधौ दृष्टे ध्रुवा सिद्धिः” एटले साधु दिठे बते निश्चयें कार्यसिद्धि थाय, एमां संशय नथी, एम कही एकाग्र चित्ते साधुने वांद्या. अने बोजे सेवके उलटी हांसी रूपें व्यवहार मात्र तेने अवनमन करयुं, पनी राजकारें गये थके पहेला सेवकनो जय थयो, अने वीजानो पराजय थयो एम एकनें अव्यथी पूजाकर्म अने वीजाने नावथी पूजाकर्म थयु; ए चोथु उदाहरण. हवे पांचमा विनयकर्मने विषे पालक अन्नव्य अने सांवनो दृष्टांत कहे . श्रीनेमिनाथ नगवान् द्वारिका नगरी समोसरया, तेवारें श्री कृष्ण बोल्या के जे श्रीनेमीश्वर नगवान सर्वथी पहेलु जई वंदन करशे, तेने महारो पट्ट तुरंगमविशेष थापीश, ते सांनलो तुरंगमने लोने प्रथम रात्रि बतां पण पालकें श्रावीने वांद्या, ते अव्यथकी वंदन जाणवू. अने त्यां शांब VIEWEREDMIVisueue/a/RS/SAMVatasava in Education national For Personal & Private Use Only www janeiro
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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