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________________ memadravanaaenyeJADAVaavaasaeaaaaaaaa दृष्टांतोनी कथा कहे बे. ___ हविणार नयरना वज्रसिंह राजानी सोनाग्यमंजरी राणीने शीतलनामा पुत्र हतो, अने शृंगारभंजरी नामे पुत्री हती. ते कंचनपुरनगरें विक्रमसेन राजाने परणावी, अनुक्रमें शीतलपुत्र || राजा थयो, तेणें धर्मघोषसूरि पालेंथी दीक्षा लीधी, पनी विज्ञातसिद्धांत गीतार्थ यज्ञ, श्राचार्यपद | पाम्या. हवे तेनी नगिनीने चार पुत्र सकलकलामां निपुण थया जाणी तेमनी मातानिरंतर पोताना पुत्र आगल नाश्नी प्रशंसा करे अने कहे के धन्य कृतपुण्य पृथिवीमाहे एक तमारो मातुल बे, के जेणे राजन्नार बांमी दीक्षा लीधी ! एवी प्रशंसा सांजली ते चारे पुत्र संवेगपणुं पाम्या. पनी स्थविरपासें दीदा लश् बहु श्रुत थ गुरुने पूर्वी पोताना मामा शीतलाचार्यने एक पुरे श्राव्या सनिली तेने वांदवाने अर्थे गया. तिहां जातां विकाल वेलाये गाम बाहेर एक देवलमा रह्या. माहे पेसतां एक श्रावकने जणाव्युं के अमारा मातुलने कहेजो जे नाणेज साधु आव्या बे. हवे ते चारे नाणेजने रातें शुलध्यानथी केवलज्ञान उपज्यु. प्रनाते तेमनुं अनागमन Me/amoup/aouratoutsoleuangdom/us/ARDAstroV9 / Jain Education international For Personal & Private Use Only
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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