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________________ NAVANANDANBAROVAVIDAANVARV शब्दार्थ-१ वंदनकर्म, 2 चितिकर्म, 3 कृतिकर्म, 4 पूजाकर्म अने 5 विनयकर्म. गुरुदननां आ पांच नाम, द्रव्य अने भाव एम बे प्रकारना सामान्यथी जाणवा. // 10 // द्वा. 1 . विस्तारार्थः-प्रतिहारनी गाथा कहे . प्रथम वंदनकर्म ते अनिवादन स्तुति रूप जाणवू बोजु चितिकर्म ते रजोहरणादि उपकरण विधि सहितपणे कुशलकर्मन कर जाणवं. त्रीजु कृतिकर्म ते शरीर मस्तकादिकें अवनमन करवू. चोथु पूजाकर्म ते प्रशस्त मन, वचन अने काय चेष्टा रूप जाणवं. पांचमुं विनयकर्म ते पूर्वोक्त चार प्रकारें विशेष उद्यमपणुं जाणवू. ए गुरु वांदणांनां पांच नाम ते वंदनाना पर्याय पाणवा. ए एक व्ययकी वांदणां अने बीजां नावथकी वांदणां एम बे प्रकारे उधेन एटले सामान्य प्रकारे जाणवां // 10 // ___हवे पांच दृष्टांतोनुं बीजु झार कहे . सोयलय-शीतलाचार्य | कन्हे-कृष्णमहाराज / संबे-शाम्बकुमार दिलंता- दृष्टांत ख्खुडुए-क्षुल्लकाचार्य सेवगदु-राजाना बे सेवकनो पंचे-पांच किइकम्मे-वांदणाने विषे वीर-वीराशालवी पालए-पालक | ए-ए | दबभावेहि-द्रव्य भावें करीने VaavaAMAVARGI/AAGRemotecomc/BG0/20Geotanicataste/teatta A a/AMMARIVARIVAJIRANIVAARY For Personal Private Use Only
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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