________________ गु०भा० 2 // गुलभ हवे वांदणां देवानुं कारण झुं? ते कहे . गुणवओ-गुणवंतनी |विहिवंदणाओ-विधियें करीने इमो-आ अ-वली वार सावत्ते-द्वादशा वर्त्तने पडिवत्ती-सेवा विहि-विधि सा-ते आयरस्स-आचार उ-वली मूलं-मूल विणओ-विनय छे ___ वांदवाथी विषे Samsatop/1060/1088/05/demo/supadeusAAND/APNVacoustan /ARO/AAm/node/mAnco mmance आयरस्सउ मूलं, विणओ सो गुणवओ अ पडिवत्ती॥ सा य विहिवंदणाओ, विहि इमो बारसावत्ते // 3 // शब्दार्थ-आचारनुं मृल विनय छे अने ते विनय गुणवंतगुरुनी सेवा करवायी थाय छे. वली ते सेवा विधियुक्त वंदनाथी थाय छे. ते विधि आ आगल द्वादशावर्त वंदनने विषे कहेशे // 3 // विस्तारार्थः-जे माटे श्री सर्वज्ञप्रणीत जे आचार तेनो वली मूल जे , ते विनय ते विनय केवी रीते होय ? ते कहे . गुणवंत गुरुनी वली प्रतिपत्ति एटले सेवा करवी जाणवी ते HDMAdevanao Jan Education international For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org