________________ hwasanawanlievaaTVerHIVES DIAREAD/CREATMERVORMD/MM/aal सव्वोवाहि विसुद्धं-सर्वोपाधि बंदर-वांदे - देविंद-देवना इंद्र परमपयं-मोक्षरूप पद विशुद्ध सया-सदा विंद-समूह पावइ-पामे एवं-प्रम देव श्री देवाधिदेवने महिअं-पूज्यु लहुसो-शीघ्र, उतावलो ... सबोवाहिविसुद्धं, एवं जो वंदए सयां देवे // - देविंदविंदमहिअं, परमपयं पावइ लहुसो // 63 // शब्दार्थ-आ प्रमाणे सर्व उपाधिथी रहित एवो जे माणस निरंतर अरिहंत देवनी बंदना करे छ ते इंद्रोना समूहे पूजेला परमपदने तुरत पामे छे. // 6 // विस्तारार्थः-एम सर्वोपाधि विशुद्ध जेम होय एम एटले सर्व श्री जिनधर्म संबंधिनी चिंत्ता तेणे करी निर्दोष प्रकारें शुद्ध श्रद्धायें करी जे नव्य प्राणी श्रीदेवाधिदेवने सदा सर्वदा वांदे ते नव्य प्राणी नवनयरूप पद जिहां नथी एवो परमपद एटले मोक्षरूप पद ते प्रत्ये शीघ्र उता awanavaitanARRORANGE/9VARERVASER/wwsite For Personal Private Lise Only