________________ Vitnestostetvon Voctore/apost/ANVARD/ साहु कही नमोर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुन्यः कही स्तवन कहीने, संपूर्ण जयवीयराय कहीये. ए देव वांदवानो विधि कह्यो // 6 // __हवे यद्यपि कोई प्राणी एटला बोल तथा एवो विधि न जाणतो होय तो पण आ कहेला आठ बोल तेमां होय तेने नक्तिवंत कहीये. जे माटे संबोध प्रकरणमध्ये काले ॥न्नत्ति बहुमाणोवण्ण, संजलण श्रासायणा परिहारो // परिणीय संगवळण, सइ सामवेतनणणं // 1 // विहिरॉजण मस्स वण,मवही वायाण विहि पमिसेहो।सिद्धाए श्य अमगुण,जुत्ता संपूरण विहिजुत्तो।। . एबे गाथानो नावार्थ कहे . एक नक्ति ते अंतरंग राग, बीजु बहुमान ते बाह्य लोकोपचार विनयादि गुण. त्रीजो वर्णवाद यशोवादनुं बोलवू. चोथो आशातनादिकनो परिहार, पांचमो तेमना प्रत्यनकनी साथे संग वर्कवो. बछो बती सामर्थ्य विघ्ननुं टालवं. सातमो बागलाने विधिमां जोमवं, याठमो अवर्णवाद न सांजलवापर्वक अविधिनोनिषेध करवोअन विधिनो प्रतिसेवन करवो, एवा आठ गुण विशुद्धयुक्त ते सर्वोपाधि विशुद्ध संपूर्ण विधि युक्त कहोये / / PGDEVGDainiPORG/ de.AGG.. // 59 // JainEducation intematic For Personal & Private Use Only