________________ अहिगयनिण-अधिकृत जिन | सव्वाण-सर्व तीर्थंकरोनी पढमथुइ-प्रथम स्तुति तइअ-श्रीजी बीया-बीजी नाणस्स-ज्ञाननी वेयावच्चगराण-वैयावच करनार उवओगथ्य-उपयोग अर्थे तु-चली चउथ्यथुइ-चोथी स्तुति vavindeoponsesanavandanaause अहिगयजिण पढमथुई, बीया सव्वाणतइअ नाणस्स // वेयावच्च गराण उ, उवओगत्थं चउत्थत्थुई // 52 ॥दार 16 // - TRYAMVARDARBatopam/Mara/ARDAROAnaranp/AND . शब्दार्थ-रुषभादि मुख्य अधिकृत जिनेश्वरनी प्रथम स्तुति, सर्व जिनेश्वरोनी बीजी स्तुति, ज्ञाननी श्रीजी स्तुति अने शासननी वैयावच करनारा सम्यक् दृष्टि देवोनी उपयोगने अर्थे चोथी स्तुति जाणवी. // 5 // / विस्तारार्थः-जेनी श्रागल देव वांदीयें एवी जे नामे मूलनायकनी प्रतिमा होय एटले प्रस्तुत अंगीकरयो जे चोवीश जिन मांहेलो को श्रीषन्नादिक एक जिन तेने अधिकृत जिन कहीये तेनी प्रथम स्तुति ते एक जिननीज जाणवी. तथा बीजी स्तति तो सर्व तीर्थंकरोनी सा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org