________________ / ०भा० // 46 // Rasaisapataemoctoaoratamame/etouvetivaratatvataravate चउ वंदणिज्जा जिणमुणि, सुयसिद्धा इह सुराइ सरणिज्झा 1०भा० चउह जिणा नाम ठवण,दब्वभावजिण भेएणं॥५०॥दारं 13-24 | शब्दार्थ-जिन, मुनि, श्रुत अने सिद्ध ए चार वांदवा योग्य छे अने ए जिनशासनना अधिष्टायक सम्यकदृष्टि देवता स्मरण करवा योग्य छे. वली नाम, स्थापना, द्रव्य अने भाव एवा जिनना भेदे करीने जिनेश्वरना चार भेद छे. ___ विस्तारार्थः-चार वंदनीयक एटले चार वांदवा योग्य कह्या बे, ते कया कया? तेनां नाम कहे . एक जिन तीर्थंकर अरिहंत, वीजा मुनिराज साधु, त्रोजो श्रुत सिद्धांत प्रवचन अने, चोथा सिद्ध नगवान् जे मोक्ष प्राप्त थया ते जाणवा. ए चार वंदनीकनुं तेरभु द्वार कह्यु. उत्तर बोल रएए१ थया // 13 // 10 // 46 // ___ हवे एक स्मरवा योग्यतुं चौदमुं दार कहे . ए श्री जिनशासनमांहे सम्यग्दृष्टि अधि-|| ष्टायिक देवता. प्रमुख स्मरणीय डे एटले स्मरवा योग्य जाणवा. ए स्मरवा योग्यतुं चौदमुंद्रार || ORana/AADEMOGO/RS/ARvaevan/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org