________________ पर्नप्रकाशन की भाव-भूमि र "संघ रत्न" उपाध्याय प्रवर श्री रवीन्द्र मुनि जी म. जैनोदय पुस्तक प्रकाशन समिति, रतलाम ने अनेकों वर्ष पूर्व जगद्वल्लभ जैन दिवाकर, प्रसिद्ध वक्ता पंडित रत्न गुरुदेव श्री चौथमल जी म.सा. की साहित्यिक जिज्ञासाओं से संकलित जैनागमों के सार रूप गाथाओं का चयन निर्ग्रन्थ प्रवचन के रूप में प्रकाशित किया था। यह पुस्तक और इसमें दी गई सामग्री के प्रति मैं सदैव से ही आकर्षित रहा हूँ, क्योंकि इस ग्रन्थ में दशवैकालिक सूत्र, जीवाभिगम सूत्र, उत्तराध्ययन सूत्र, स्थानांग सूत्र, प्रश्न-व्याकरण सूत्र, समवायांग सूत्र, सूत्रकृतांग सूत्र, ज्ञातधर्मकथांग सूत्र और आचारांग सूत्र के साथ ही भगवती सूत्र की गाथाओं का संकलन प्रस्तुत किया गया है। पूज्य गुरुदेव श्री चौथमल जी म. का यह पुरुषार्थ अनेकों आत्माओं को ज्ञान का प्रकाश देते हुए स्वाध्याय क्रम में एक उत्कृष्ठ आलम्बन बनकर स्थापित रहा है। __मेरी समझ में आज यह पुस्तक लगभग उपलब्ध नहीं है। शायद इतने वर्षों पश्चात् इसके पुर्नप्रकाशन पर विद्वत्त मंडल का ध्यान नहीं गया या जैनोदय पुस्तक प्रकाशन समिति के वर्तमान में अवस्थित न रहने की वजह से यह उपयोगी पुस्तिका पुर्नप्रकाशन में नहीं आई है। मेरे विचार में यह पुस्तक "गागर में सागर" रूप ऐसी पुस्तक है जिससे जिनशासन में निमज्ज श्रमण–श्रमणी एवं श्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध संघ लाभ ले सकता है। इसी शुभ भाव के कारण मैंने पुस्तक को यथावत प्रकाशित करने का आग्रह कुछ श्रावकों के सम्मुख रखा और मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इस प्रकाशन की आवश्यकता अनेक लोगों ने अनुभव की। मेरे निश्रायी श्रमण मण्डल में भी इस पुस्तक का नित्य पठन-पाठन वर्षों से होता आया है। मैं चाहता हूँ कि यह पुस्तक पुर्नप्रकाशित होकर जगदवल्लभ गुरुदेव श्री चौथमल जी म. के पुरुषार्थ को पुनः-पुनः रेखांकित करें एवं भव्यात्माओं के लिए मार्गदर्शन करने में उपयोगी बने। इसी दृष्टि से इस लघु पुस्तिका का यथातथ्य पुर्नप्रकाशन किया जा रहा है। इस कार्य में जिन-जिन महानुभावों का साहचर्य-सहयोग प्राप्त हुआ है, मैं उन सभी को हृदय से साधुवाद प्रदान करता हूँ और यह अपेक्षा करता हूँ कि श्रमण-श्रमणी एवं श्रावक-श्राविका इस उपयोगी पुस्तक को अपने नित्य स्वाध्याय में स्थान देकर लाभान्वित होंगे। Jain Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Printed by: Creative Delhi # 09810554810