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पुरुष - स्वामी। ऐसा न कहें।
___ जो निन्दित काम जन्म से चला आ रहा है, वह (काम) नहीं छोड़ना चाहिए। अनुकम्पा से मृदु उत्तम ब्राह्मण भी पशु के मारने रूप कर्म में कठोर होता है। श्याल - उसके बाद, उसके बाद ? पुरुष – एक दिन रोहित मछली ज्यों ही मेरे द्वारा काटी गई, उसके पेट के भीतर यह रत्न से चमकती हुई अंगूठी दिखी। बाद में इसे बेचने के लिए दिखाता हुआ महाशयों द्वारा पकड़ लिया गया। मारिए या छोड़िए। यह इसके आने का वृत्तान्त है। ग) मागधी गाथा का उदाहरण
पुजे निश्शाद-पञ्ज सुचले यदि-पधेण वजन्ते। शयल-यय-वश्चलत्तं गश्चन्ते लहदि पलमपदं।कुमार० चरित।।
अर्थात् पुण्यात्मा, कुशाग्र प्रज्ञावाला, सुप्राञ्जल, यतिमार्ग का अनुसरण करता हुआ, सकल जग की वत्सलता का आचरण करता हुआ परमपद को प्राप्त करता है।
३. अर्धमागधी प्राकृत प्राकृत आगमों के उल्लेखानुसार तीर्थंकर महावीर के युग में (ईसा पूर्व छठी शताब्दी) अट्ठारह महाभाषायें एवं सात सौ लघुभाषायें (बोलियाँ) प्रचलित थी। आगमों में ही अर्धमागधी को अट्ठारह देशी भाषाओं से प्रसूत तथा सर्वभाषामयी प्रमुख भाषा भी बताया गया है। अर्धमागधी को आर्ष प्राकृत भी कहा जाता है। इसे तीर्थंकर महावीर के उपदेशों की भाषा माना जाता है। इसी भाषा में श्वेताम्बर परम्परा के आगम ग्रन्थ उपलब्ध हैं। - प्राचीन आर्य प्रदेश के आधे भाग में बोली जाने वाली भाषा को अर्धमागधी कहते हैं। इसमें मागधी प्राकृत की कतिपय विशेषताएं पाये
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