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________________ 274 : अंग साहित्य मनन और मीमांसा अपराध व दंड व्यवस्था :- चोरी करने वाले के चोर्य कर्म के साथ-साथ कई अन्य व्यवस्थाएँ भी थी। उन व्यवस्थाओं में सामनीति, भेदनीति, उपधान नीति, शिष्टभ्रम, अंतरंग नीति भी दंड व्यवस्था के अनुकूल थी। दंडनायक शत्रु सेना को परास्त करता, सेना का नाश करता और वीरों का घात करता। अपराधी को राजगृह के कारागृह में डालना भी दंडनायक का कार्य था । अभग्नसेन के प्रसंग में इस तरह के अपराध व दंड को पर्याप्त महत्व दिया गया है। बृहस्पतिदत्त के कथानक में राजा द्वारा जो दंड व्यवस्था की गई वह क्रूर-कर्म नामक दंड व्यवस्था बुरी मानी गई। नन्दीवर्धन के दृष्टांत में साम, दंड, भेद आदि की नीति को दर्शाया गया है। इस अध्ययन में चारकपाल अर्थात् जेलर के अत्याचार में शिलाखंड, चाबुकप्रहार, मुद्गर, आदि यंत्र विशेष, सामान्य रस्सियाँ, वल्कल रस्सियाँ ऊन की रस्सियाँ, बाँस के चाबुक, बेंत के चाबुक, हस्तांदुक (हाथ बांधने की हथकड़ी) पादांदुख (पैरों की जंजीर), हडी (काठ की बेड़ी), निगड (लोहे की बेड़ी) आदि के अतिरिक्त करपत्र, क्षुरपत्र, असिपत्र आदि शस्त्रों का उल्लेख है। इन्हें राजा अपने अंगरक्षकों के द्वारा दंड व्यवस्था में प्रयुक्त करवाता था। सैन्य व्यवस्था :- युद्ध में युद्धनीति, अस्त्र-शस्त्र, चतुरंगिणी सेना का जहाँ महत्व है वहीं पर कवच, शरीर रक्षक यंत्र, उपकरण, हस्तिझूल; उदरबंधन आदि का उल्लेख उज्झितक कथानक में आया है। इसी कथानक में युद्धनीति, अश्व और हस्ती का भी उल्लेख हुआ है। राज कर व्यवस्था :- शासन चलाने के लिए कर लिया जाता था। उनमें से उच्छुल्क, उटकर, अभटप्रवेश, अदंडिम, कुदंडिम, अधर्मिम आदि करों का उल्लेख अभग्नसेन के प्रसंग में हुआ है। राजा महाबल ने कूटकार्यशाला के निमित्त, राजदेहकर में बारह प्रकार के करों को नहीं लेने की घोषणा करवाई। आर्थिक व्यवस्था :- अर्थ सुधार कार्यक्रमों के अंतर्गत शासनकर्त्ता विविध प्रकार की खेतियों को महत्व देता है । ग्रामों का विस्तार करवाता है। खेतों एवं उत्पादन योग्य स्थानों का भी चयन करवाता है, इत्यादि विवेचन हुआ है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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