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________________ 216 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा वारिषेण कुमार 5. 6. प्रद्युम्न कुमार 7. शाम्ब कुमार 8. अनिरूद्ध कुमार सत्यनेमि कुमार 9. 10. दृढनेमि कुमार म. वसुदेव श्रीकृष्ण- वासुदेव श्रीकृष्ण - वासुदेव प्रद्युम्न कुमार म. समुद्र विजय .म. समुद्र विजय इस वर्ग में वर्णन आया है कि इन सभी राजकुमारों का जीवन गौतम कुमार की तरह था। इन सभी ने पचास-पचास कन्याओं के साथ विवाह किया था। बारह वर्ष तक अंगों का अध्ययन कर सोलह वर्ष तक संयम का पालन किया और अन्त में शत्रुंजय पर्वत पर मुक्त अवस्था प्राप्त की। रानी धारिणी रानी रूक्मिणी रानी जाम्बवती रानी दैदर्भी रानी शिवा रानी शिवा पाँचवे वर्ग के दस अध्ययनों में श्रीकृष्ण- वासुदेव की आठ रानियों तथा दो पुत्रवधुओं के वैराग्यमय जीवन का वर्णन है। श्रीकृष्ण की रानियों में पद्मावती, गौरी गान्धारी, लक्ष्मणा, सुसीमा, जाम्बवती, सत्यभामा तथा रूक्मिणी देवी तथा पुत्रवधुओं में मूलश्री एवं मूलदत्ता देवी है। राज्य वैभव को त्यागकर वैराग्य मार्ग को अपनाने में राजरानियाँ भी किसी से कम नहीं है। यह अपूर्व उदाहरण है। इसी वर्ग में भगवान अरिष्टनेमि ने श्री कृष्ण को कहा था कि वे आने वाली चौबीसी में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत भारतवर्ष के पुण्ड्रदेश के शतद्वार नामक नगर में अमम नामक बारहवें तीर्थकर बनेंगें। इस वर्ग का एक और प्रसंग महत्वपूर्ण है जिसमें भगवान अरिष्टनेमि द्वारा द्वारिका का विनाश सुरापान के कारण यदुवंशी युवक द्वैपायन ऋषि का अपमान करेंगे और द्वैपायन ऋषि अग्निकुमार देव बनकर द्वारिका नगरी का विनाश करेंगे। Jain Education International छठे वर्ग में सोलह अध्ययन हैं। प्रथम और द्वितीय अध्ययन में मंकाति और किंकर्मा गाथापति, तृतीय अध्ययन में अर्जुनमाली, चतुर्थ अध्ययन से चौदहवें अध्ययन में काश्यप, क्षेमक, धृतिधर, कैलाश, हरिचन्दन, वारदत्तक, सुदर्शन, पूर्णभद्र, सुमनभद्र, सुप्रतिष्ठित और मेघकुमार मुनि, पन्द्रहवें अध्ययन मैं अतिमुक्त कुमार और सोलहवें अध्ययन में अलक्ष नरेश का वर्णन आया है। मंकाई तथा किंकम For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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