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प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 203
से णं अंगओयाए अओमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झयणा सत्त वग्गा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेज्जाइं पयसयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा अणंता गमा अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ताभावा आघविज्जति पण्णा विज्जति परूविज्जति दंसिज्जति निर्दसिज्जति उवदंसिज्जति।
से एवं आया एवं विण्णाया एवं चरण-करण -परूवणया आघविज्जति, पण्णविज्जति परूविज्जति दंसिज्जति निर्देसिज्जति उवदंसज्जिति। सेत्तं अंतगडदसाओ। ___3. नन्दीसूत्र (सं. मधुकर मुनि) सूत्र 53 पृ. 183,
से किं तं अंतगडदसाओ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराइं, उज्जाणाइं, वणसंडाइं समोसरणाइं, रायाणो, अम्मा-पियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइअ-परलोइआइड्ढिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वज्जाओ, परिआगा, सुअपरिग्गहा, तवोवहाणाइं संलेहणाओ, भत्तपच्चक्खाणांइं, पाओवगमणाइं अंतकिरिआओ आघविज्जन्ति। _____ अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। - सेणं अंगओयाए अओमे अंगे, एगे सुअखंधे अओ वग्गा, अओ उद्देसणकाला, अओ समुद्देसणकाला संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणता पज्जवा, परित्ता, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध- निकाइआ जिणपण्णत्ता भावा आघविति, पन्नविज्जति, परूविज्जति, दंसिजति निर्दसिजति, उवदंसिर्जति।
से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघंविज्जइ। से त्तं अंतगडदसाओ। 4. तत्त्वार्थवार्तिक- पृष्ठ 51
संसारस्यान्तः कृतो यैस्तेऽन्तकृतः नमिमतंगसोमिलरामपुत्रसुदर्शनयमवाल्मीकवलोक - निष्कंबलपालम्बष्टपुत्रा इत्येते दश वर्धमानतीर्थंकरतीर्थे।।
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