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190 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा
प्रस्तावना, पृष्ठ 24
-- पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी, 1989 8. चउदस पुव्वा पण्णत्ता - समवायांग, 14 एवं 18 9. विहो पण्णतं, तंजहा- अंगपविओ अंग बाहिरं च। ...
- नंदीसूत्र (मधुकर मुनि), पृष्ठ 160 10. अनुयोगद्वार, 144, पृष्ठ 219 . 11. डॉक्टरिन ऑफ जैनाज, पृ.29, उद्धृत-जैन साहित्य का वृहद इतिहास,
भाग1, पृष्ठ 19 12. आगमे तिविहे पण्णत्ते- सुत्तागमे य अत्थागमे य तदुभयागमे या
-अनुयोगद्वारसूत्र, 470 13......अनिबद्धमंगोपांगशः......तत्त्वार्थभाष्य, 1/20 .. 14. जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा- देवेन्द्र मुनि शास्त्री, तारक
गुरू जैन ग्रंथालय, उदयपुर, 1977, पृष्ठ 30-33 आवश्यक नियुक्ति, 363-377, दशवैकालिक नियुक्ति, 3 टीका;
उद्धृत-जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृष्ठ 16 16. रत्नकरंडकश्रावकाचार, 1/43-46, उद्धृत-जैन आगम साहित्य :
मनन और मीमांसा, पृष्ठ 18
जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृष्ठ 18 18. आणंदे कामदेवे य, गाहावइ चुलणीपिया।
सुरादेवे चुल्लसयए, गाहावइ कुंडकोलिए। सद्दालपुत्ते महासयए, नंदिणीपिया सालिहीपिया।
- उवासगदसाओ (मधुकर मुनि), 1/2 19. वही, प्रथम अध्ययन 20 वही, द्वितीय अध्ययन 21. वही, तृतीय अध्ययन 22. वही, चतुर्थ अध्ययन 23. वही, पंचम अध्ययन 24. वही, षष्ठम अध्ययन 25. वही, सप्तम अध्ययन
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