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________________ प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 165 अन्य स्थानों परं भी आई हैं। जैन कथा साहित्य में, बौद्ध जातकों में और वैदिक परम्परा के ग्रंथों में दोहद का अनेक स्थानों पर वर्णन है। यह ज्ञातव्य है कि जब महिला गर्भवती होती है तब गर्भ के प्रभाव से उसके अन्तर्मानस में विविध प्रकार की इच्छाएँ उबुद्ध होती हैं। ये विचित्र और असामान्य इच्छाएँ दोहद कही जाती हैं। दोहद के लिए संस्कृत साहित्य में द्विहद भी आया है। द्विहद का अर्थ है- दो हदय को धारण करने वाली। अंगविज्जा जैन साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। उस ग्रंथ में विविध दृष्टियों से दोहदों के संबंध में गहराई से चिन्तन किया है। जितने भी दोहद उत्पन्न होते हैं उन्हें पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है- शब्दगत, गंधगत, रुपगत, रसगत, और स्पर्शगत। क्योंकि ये ही मुख्य इन्द्रियों के विषय हैं और इन्हीं की दोहदों में पूर्ति की जाती है।। नौवें अध्ययन में विभिन्न प्रकार के शकुनों का उल्लेख है। शकुनदर्शन ज्योतिषशास्त्र का एक प्रमुख अंग है। शकुनदर्शन की परम्परा प्रागैतिहासिक काल से चलती आ रही हैं कथा-साहित्य का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि जन्म, विवाह, बहिर्गमन, गृहप्रवेश और अन्यान्य मांगलिक प्रसंगों के अवसर पर शकुन देखने का प्रचलन था। गृहस्थ तो शुकन देखते ही थे, श्रमण भी शकुन देखते थे। देश, काल और परिस्थिति के अनुसार किसी स्थिति में एक वस्तु शुभ मानी जाती है और वही वस्तु दूसरी परिस्थितियों में अशुभ भी मानी जाती है। एतदर्थ शकुन विवेचन करने वाले ग्रन्थों में मान्यता-भेद भी प्राप्त होता है। प्रकीर्णक ग्रन्थ गणिविद्या में लिखा है भी शकुंन मुहूर्त से भी प्रबल होता है। जंबूक, चास (नीलकंठ), मयूर, भारद्वाज, नकुल यदि दक्षिण दिशा में दिखलाई दें तो सर्वसंपत्ति प्राप्त होती है। इस ग्रंथ में पारिवारिक संबंधों और शिक्षा तथा शासन व्यवस्था आदि के संबंध में भी पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। धारिणी के शयनकक्ष का वर्णन स्थापत्य कला और वस्त्रकला की अमूल्य निधि है। सन्दर्भ :1. (क) ज्ञाताधर्मकथा (सम्पा - पं. शोभाचन्द भारिल्ल), ब्यावर, 1989 ___ (ख) भगवान महावीरनी धर्मकथाओं (पं. दोशी),पृष्ठ 180 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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