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148 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा.
* दसविधा ...... णाणविसोही, दंसणविसोहि, चरित्तविसोही,
अचियत्त विसोही, सारक्खण विसोही। चत्तरि सरीरमा कम्मुमीसगा पण्णत्ता, तं जाहा-ओरालिए,
वेउव्विए, आहारए, तेयए। 4/492। * पंच सरीरगा, ..... कम्मए। 5/251
छव्विहा सव्वजीवा, असरीरी। 6/11। 48. छव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा-पुढविकाइया,
आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया, तसकाइया, 7/81 . * सत्तविधा सव्वजीवा पण्णत्ता, ...... अकाइया 27/731 * णवविहा, ...... बेइंदिया, (तेइंदिया, चउरिंदिया,
पंचिंदिया)-9/71 ___49. सारस्सयमाइच्चाणं (देवाणं) सत्तदेवा सत्तदेवसता पण्णत्ता। 7/1001
* एतेसु णं अओसु लोगतियविमाणेसु अओविधा लोगंतिया देवा . पण्णता तं जहा-- .
सारस्सतमाइच्चा, वण्ही वरुणा य गद्दतोया। तुसिता अव्वाबाहा, अग्गिच्चा चोव बोद्धव्वा।। 8/46। .
णव देवणिकाया पण्णत्ता...... चेव रिओ य ।।9/34 स्थानांग। 50. पण्णत्ते, तं जहा-पुढविकाइय संजमे आउकाइयसंजमे,
ते उकाइयसंजमे, वाउकाइयसंजमे, वणस्सइकाइयसंजमे, तसकाइयसंजमे, अजीवकाइय संजमे) -7/82 स्थानांग। * दसविधे संजमे, बेईदियसंजमे, तेइंदियसंजमे, चउरिंदियसंजमे, - पंचिंदियसंजमे अजीव कायसंजमे। -10/8 स्थानांग।
* सत्तरसविहे असंजमे, 17/118 समवायांग। 51. सत्तविधे असंजमे पण्णत्ते, तं जहा- पुढविकाइयअसंजमे, आउकाइय
असंजमे, तेउकाइय असंजमे, वाउकाइय असंजमे- 7/83 स्थानांग।
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