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परमात्मा बनने की कला
चार शरण
कहे अनुसार नवकार मन्त्र में ही लीन हो जाऊँ। जो होगा सो होगा। यह सोचकर अमर नवकार मन्त्र में लीन हो गया। इतना तल्लीन कि वह सब कुछ भूल गया। सामने वाले अग्निकुण्ड और मौत के भय को भी वह भूल गया।
क्षण-प्रतिक्षण बीते जा रहे थे। एक क्षण पूर्व एक सेवक ने अमर को उठाया और मुहूर्त के समय पर थाली के डंके, घण्टे और वाजिंत्रों की ध्वनि के साथ अग्निकुण्ड में फेंक दिया। किन्तु आश्चर्य! 'नमस्कार महामन्त्र' ने अद्भुत चमत्कार का सर्जन किया। जिसका संसार में कोई नहीं, उसका तारणहार नवकार मन्त्र है। अमर ने स्मरण प्रारम्भ किया और नवकार के प्रभाव से तुरन्त ही अग्निकुण्ड की अग्नि गायब हो गई। अमर ने अपने आपको सोने के सिंहासन पर बैठा हुआ पाया।
यह है नवकार मंत्र का चमत्कार। अग्नि कुण्ड से सोने का सिंहासन बन गया। यह देखकर राजा ने उसे मुक्त कर दिया। अमरकुमार ने घर न जाकर मुनि वेश धारण कर लिया और साधना करने जंगल में चला गया। ध्यान में लीन अमर मुनि पर स्वयं की माता का उपसर्ग आया। यहाँ से मृत्यु प्राप्त कर अमर मुनि बारहवें देवलोक में उत्पन्न हुए।
श्रीपाल कुमार को कितनी आपत्ति आई? धवल सेठ ने प्रपंच से समुद्र में गिराया, तब भी श्रीपाल कुमार के मन में तो अरिहन्तादि नवपद की ही शरण थी, जिनके प्रभाव से मगरमच्छ ने नौंका की तरह अपनी पीठ पर बैठाकर समुद्र के किनारे लाकर उतार दिया। यहाँ राजकन्या के पति के रूप में श्रीपाल को लेने के लिए राजा के सैनिक लोग आने लगे। श्रीपाल कुमार को अरिहंत आदि की शरण स्वीकारने के प्रताप से ही नौ-भव की समृद्धि को तो देखा ही, साथ ही वह मोक्ष की अनन्त समृद्धि को भी वरण करने वाले
. कहते हैं- भव्यत्व के परिपाक के लिए प्रतिदिन तीन बातों का बारम्बार स्मरण होना चाहिए। चार शरण स्वीकार करना, दुष्कृत की गर्दा और सुकृतों की अनुमोदना। इन तीनों बातों का महत्त्व तो है ही, पर इनमें भी सबसे ज्यादा महत्त्व उनमें प्रणिधान का होना है। बिना प्रणिधान के, हजार बार की गई क्रिया हमें सम्पूर्ण फल देने वाली नहीं होती, जबकि प्रणिधान पूर्वक की गई एक बार की क्रिया भी हमें सच्चे फल को दिलाने वाली बन सकती है। समस्त कार्यों की सिद्धि अर्थात् कार्य की सफलता के लिए प्रणिधान मुख्य कारक है।
आध्यात्मिक जीवन में जिस कार्य की इच्छा करते हैं, वह कार्य यदि प्रणिधान पूर्वक होगा तो अवश्य फल दिये बिना नहीं रहेगा। प्रणिधान पूर्वक क्रिया से तीव्र रसवाले
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