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________________ परमात्मा बनने की कला चार शरण भगवान् महावीर देव के प्रथम गणधरदेव गौतम स्वामी जी बेले के पारणे बेला करते थे। आज उनका पारणा होने से वे पोलासपुर की गलियों में निर्दोष गोचरी (आहार) लेने के लिए भ्रमण कर रहे थे। राजमार्ग पर राजकुमार अईमुत्ता अपने बाल मित्रों के साथ खेल रहा था। उसने तप के तेज से दैदीप्यमान साक्षात् धर्ममूर्ति गौतम स्वामी जी को देखा तो आश्चर्य हुआ। उसने गणधर देव से पूछा- 'देवार्य आप कौन हैं? और नगर में किसलिए घूम रहे हैं?' गणधर देव बोले- 'हम जैन मुनि हैं एवं गोचरी लेने के लिए नगर में भ्रमण कर रहे है।' 'तो आप मेरे यहाँ गोचरी के लिए चलिए।' अईमुत्ता ने आग्रह पूर्वक कहा- 'मैं आपको भिक्षा दूंगा।' गणधर देव अईमुत्ताकुमार के साथ राजमहल में गोचरी लेने पधारे। राजकुमार ने मोदक वोहरा कर पुण्य प्राप्त किया। . गौतम स्वामी को छोड़ने के लिए जाते समय अईमुत्ता ने पूछा- 'कृपालु...। आप कहाँ रहते हैं?' गौतम स्वामी फरमाते हैं- 'महाराजा सिद्धार्थ के पुत्र वर्धमान, जिन्हें लोग महावीर कहते हैं । वे महावीर परमात्मा हमारे गुरु हैं। हम उन्हीं के साथ रहते हैं।' .. अईमुत्ता गणधरदेव के साथ भगवान् महावीर के पास आया। भगवान् देशना फरमा रहे थे। प्रभु की मेघ जैसी गंभीर वाणी सुनकर अईमुत्ता कुमार को वैराग्य उत्पन्न हो गया। उसने राजमहल आकर अपनी माता श्रीदेवी से कहा- 'माँ, मैं भगवान् का शिष्य बनकर आत्म कल्याण करूँगा। मुझे दीक्षा लेने की अनुमति दीजिए।' - माँ ने कहा- 'बेटा, क्या तू जानता है, दीक्षा क्या होती है?' अईमुत्ता ने कहा- 'जो मैं जानता हूँ, वह नहीं जानता हूँ और जो नहीं जानता हूँ वह जानता हूँ।' श्रीदेवी महारानी ने पूछा- 'तू कहना क्या चाहता है?' अतिशीघ्र अईमुत्ता बोला- 'जो जन्मा है, उसकी मृत्यु अवश्यमेव है, मैं यह जानता हूँ। तथा मैं यह नहीं जानता कि जीव किन कर्मों से नरकादि दुर्गति में जाता है, किन्तु यह अवश्य जानता हूँ कि जीव स्वयं अपने कर्मों के कारण गति प्राप्त करता है।' माता बड़ी प्रसन्न हो उठी पुत्र की बात सुनकर। पिता विजयराजा को भी इसी तरह Jain Education International 107 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004255
Book TitleParmatma Banne ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyranjanashreeji
PublisherParshwamani Tirth
Publication Year2000
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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