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तृतीय अध्याय तन्मध्ये मेरुनाभिवृत्तो योजनशतसहस्रविष्कम्भो जम्बूद्वीपः॥9॥ सूत्रार्थ - उन सबके बीच में गोल और एक लाख योजन विष्कम्भवाला जम्बूद्वीप .
है। जिसके मध्य में नाभि के समान मेरु पर्वत है।।9।।
जम्बूद्धीप
विस्तार मेरु क्षेत्र पर्वत सरोवर नदियाँ (1 लाख (सुर्दशन (भरतादि (हिमवनादि (पद्मादि (गंगायोजन मेरु नाभि 7) 6) 6) सिंधु व्यास) के समान
आदि 14) मध्य में)
सुदर्शन मेरु जड़ ऊँचाई चूलिका कुल वन अकृत्रिम
| ऊँचाई । चैत्यालय
चित्रा + 99,000 +40 योजन =1 लाख 4 16 (प्रत्येक वन में पृथिवी में योजन
40 योजन प्रत्येक दिशा में 1 =4x4) 1000 यो.
(पंच मेरु पर 16x5 = 80) चार वन
भद्रशाल
नन्दन
सौमनस
पाण्डक
चित्रा पृथिवी
भद्रशाल से 500 योजन ऊपर
नन्दन से 62500 सौमनस से योजन ऊपर 36000 योजन
ऊपर
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