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द्वितीय अध्याय
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सचित्तशीतसंवृताः सेतरा मिश्राश्चैकशस्तद्योनयः ।। 32 || सूत्रार्थ - सचित्त, शीत और संवृत तथा इनकी प्रतिपक्षभूत अचित्त, उष्ण और विवृत तथा मिश्र अर्थात् सचित्ताचित्त, शीतोष्ण और संवृतविवृत - ये उसकी अर्थात् जन्म की योनियाँ हैं ।। 321 योनि (उत्पत्ति स्थान)
सचित्त अचित्त सचित्ताचित्त संवृत
( चेतना ( चेतना (मिश्र)
(ढकी)
सहित)
रहित ).
शीत
देव व नारकी
गर्भज-मनुष्य व तिर्यंच
सम्मूर्छन मनुष्य व
• पंचेन्द्रिय तिर्यंच
विकलेन्द्रिय
केन्द्रिय
(ठंडी)
प्रत्येक जीव के ऊपर नौ में से हर समूह में से एक, अर्थात् कुल मिलाकर 3 योनि नियम से होती हैं।
किस योनि में कौन जीव जन्म लेता है ?
जीव
योनि
शीत व उष्ण संवृत्त
जल
साधारण वनस्पति
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उष्ण शीतोष्ण
(गर्म )
(मिश्र)
अचित्त सचित्ताचित्त
(पृथिवी, वायु, प्रत्येक वनस्पति) मिश्र)
अग्नि
दो प्रकार
(अचित्तव
संवृतविवृत
विवृत ( खुली) (कुछ ढकी,
कुछ खुली)
सचित्त
तीनों प्रकार
उष्ण
शीत
तीनों प्रकार
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संवृतविवृत
विवृत
संवृत
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