________________
____ 22
द्वितीय अध्याय 5 भावों को समझने के लिए आवश्यक कर्म प्रकृतियाँ -
कर्म
घातिया (आत्मा के अनुजीवी गुणों को घाते) (47)
अघातिया
..
ज्ञानावरण . (5)
दर्शनावरण
(9
मोहनीय (28)
अंतराय (5)
दर्शन मोहनीय (3)
चारित्र मोहनीय (25)
मिथ्यात्व सम्यग्मिथ्यात्व सम्यक्त्व प्रकृति
कषाय (16) नोकषाय (9)
अनंतानुबन्धी क्रोध-मान-माया-लोभ (4) अप्रत्याख्यानावरण क्रोध-मान-माया-लोभ (4) प्रत्याख्यानावरण क्रोध-मान-माया-लोभ (4) संज्वलन क्रोध-मान-माया-लोभ (4)
'वेदनीय
आयु
नाम
गोत्र
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org