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प्रथम अध्याय
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नैगमसंग्रहव्यवहारर्जु सूत्रशब्दसमभिरूढैवम्भूता नयाः ।। 33 ।। सूत्रार्थ - नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ़ और एवंभूत - ये
सात नय हैं ।। 33 ।
नय
(जो पदार्थ के एक अंश को जाने या कहे)
द्रव्यार्थिक
(जो द्रव्य को ग्रहण करे)
संग्रह
नैगम (संकल्प ग्रहण ( जाति के विरोध बिना
करना)
समस्त पदार्थों को इकट्ठा
ग्रहण करना)
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पर्यायार्थिक
(जो पर्याय को ग्रहण करे)
व्यवहार
(विधिपूर्वक पदार्थों के भेद को ग्रहण
करना)
समभिरूद
ऋजुसूत्र शब्द (वर्तमान पर्याय (लिंग आदि के भेद (पर्यायवाची शब्दों • मात्र का ग्रहण) से पदार्थ का भेद
से भेद कर पदार्थ
रूप ग्रहण)
का ग्रहण)
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एवंभूत
(उसी क्रिया रूप
परिणमित पदार्थ
काण )
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