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प्रथम अध्याय
व्यञ्जनस्यावग्रहः।।18।। सूत्रार्थ - व्यंजन का अवग्रह ही होता है।।18।।
न चक्षुरनिन्द्रियाभ्याम्।।19।। सूत्रार्थ - चक्षु और मन से व्यंजनावग्रह नहीं होता।।1।।
मतिज्ञान का विषय व 336 भेद
व्यंजन(अप्रकट-अव्यक्त)
अर्थ(प्रकट-व्यक्त) .
सिर्फ अवग्रह
→ 1
अवग्रह, ईहा, अवाय, धारणा - 4
पाँचों इन्द्रियों एवं मन से
6
नेत्र एवं मन के अलावा x4 शेष 4 इन्द्रियों से
.46
12 प्रकार के पदार्थ x 12 . 12 प्रकार के पदार्थ
x12 कुल = ____48 + .
288
= 336 ज्ञान की उत्पत्ति का क्रम चक्षु को छोड़कर शेष चार | अचक्षुदर्शन → व्यञ्जनावग्रह → अर्थावग्रह → इन्द्रियाँ | → ईहा →. अवाय → धारणा
चक्षु इन्द्रिय चक्षुदर्शन →अर्थावग्रह - ईहा → अवाय→धारणा
मन
अचक्षु दर्शन→ अर्थावग्रह→ ईहा→ अवाय → धारणा
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