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निसर्गज
* स्वभाव से
उदाहरण काँटे की नोंक
(काँटे की नोक
स्वाभाविक होती है)
द्रव्य
प्रथम अध्याय
सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति के हेतु
जीवाजीवास्रवबंधसंवरनिर्जरामोक्षास्तत्त्वम् ||4||
सूत्रार्थ - जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ये तत्त्व हैं || 4 || सात तत्त्व
कर्मों
भाव
जीव अजीव आस्रव
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का आना रुकना
का एकदेश खिरना
का सम्पूर्ण नाश
शुभ - अशुभ भावों
शुद्ध भावों की
का आना
का आत्मा से सम्बन्ध होना
बंध संवर निर्जरा मोक्ष
द्रव्य
अधिगमज
* पर के उपदेश से
* बाण की धार
(बाण की धार को बनाने के
लिए किसी की आवश्यकता होती है)
E वृद्धि
भाव
-
• आस्रव
• बन्ध
-
की उत्पत्ति - आस्रव का बने रहना-बन्ध उत्पत्ति - संवर वृद्धि - निर्जरा पूर्णता मोक्ष
- संवर
·
- निर्जरा
- मोक्ष
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