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भावार्थ - जो मोक्षमार्ग के नेता हैं, कर्मरूपी पर्वतों के भेदनेवाले हैं और विश्वतत्त्वों के ज्ञाता हैं, उनकी मैं उन समान गुणों की प्राप्ति के लिए द्रव्य और भाव उभयरूप से वन्दना करता हूँ।
(मंगलाचरण की विशेषता) कलाचसा कामालावरणपुर * आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने 115 श्लोकों में देवागम स्तोत्र बनाया, जो कि गंधहस्ति महाभाष्य (तत्त्वार्थसूत्र टीका) का मंगलाचरण है। * देवागम स्तोत्र पर 800 श्लोकों में अष्टशती भट्ट अकलंक देव ने बनायी। * अष्टशती पर 8000 श्लोकों में अष्टसहस्री आचार्य विद्यानंदि ने बनायी।
(प्रथमअध्याय
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मोक्षमार्ग का स्वरूप __ 1 1 सम्यग्दर्शन
। 2-4 | 3 | 5-6 पदार्थों के जानने के उपाय
5-8 .
7-8 सम्यग्ज्ञान-प्रमाण
9-12 | 4 मतिज्ञान
13-19 | 7 10-12 श्रुतज्ञान
20 1 13 अवधिज्ञान और मनःपर्यय ज्ञान | 21-25 | 5
13-15 पाँच ज्ञानों का विषय
26-29 | 4 16 एक साथ कितने ज्ञान सम्भव 30 1 ___17 मिथ्याज्ञान
31-32 | ___18 33 | 1 | 19 कुल | 33 .
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नय
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