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________________ दसवाँ अध्याय औपशमिकादिभव्यत्वानां च ॥3॥ सूत्रार्थ - तथा औपशमिक आदि भावों और भव्यत्व भाव के अभाव होने से मोक्ष होता है। 3 ॥ अन्यत्र केवलसम्यक्त्वज्ञानदर्शनसिद्धत्वेभ्यः ||4|| सूत्रार्थ - पर केवल सम्यक्त्व, केवलज्ञान, केवलदर्शन और सिद्धत्व भाव का अभाव नहीं होता || 4 || मोक्ष होने पर किन भावों का अभाव होता है सद्भाव रहता है क्यों ? क्यों ? कर्म के निमित्त भाव * औपशमिक *क्षायोपशमिक से होते थे * औदयिक *पारिणामिक - भव्यत्व रत्नत्रय की पूर्णता हो गई Jain Education International भाव क्षायिक भाव - क्षायिक सम्यक्त्व "" 55 "" ज्ञान दर्शन वीर्य * पारिणामिक - जीवत्व 217 - अभव्यत्व मोक्षगामी के पहले ही नहीं था 3 प्रकार के कर्मों के नाश होने पर मोक्ष नाम भावकर्म स्वरूप जीव के विकार नाश कैसे जीव के पुरुषार्थ से द्रव्य कर्म पौद्गलिक कर्म भाव कर्म के नाश से ? For Personal & Private Use Only प्रतिपक्षी कर्म का अभाव होने से कर्म निरपेक्ष स्वभाव नोकर्म शरीर द्रव्यकर्म के नाश से www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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