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________________ 10-12 13-16 17 18 19-45 19 20-21 22 23 24 25 26 27 28-29 29-35 36 43-44 37-42 Jain Education International कहाँ कौन - सा परीषह सम्भव है? किस कर्म के उदय से कौन सा - परीषह होता है? एक साथ एक जीव को कितने परीषह सम्भव हैं? चारित्र के भेद परिहार विशुद्धि चारित्र की विशेषता सामायिकों में अन्तर निर्जरा के भेद बाह्य तप के भेद 4 प्रकार का आहार 6 प्रकार के रस आभ्यंतर तप के भेद प्रायश्चित्त तप के भेद विनय तप के भेद वैयावृत्त्य तप के विषय 4 प्रकार का संघ स्वाध्याय तप के भेद व्युस तप के भेद ध्यान क्या है? अंतर्मुहूर्त का स्वरूप ध्यान के भेद आर्त- रौद्र ध्यान में अन्तर निदान शल्य - निदान आर्तध्यान में अन्तर धर्म्य ध्यान के भेद वितर्क व वीचार का स्वरूप शुक्लध्यान के भेद For Personal & Private Use Only 193 194 195 195 196 196 197 197 198 198 198 199 200 200 201 201 202 202 202 203 203 205 205 206 207 208 www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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