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अष्टम अध्याय
कषायों के उत्कृष्ट-जघन्य स्थान के दृष्टांत
उत्कृष्ट व अनुत्कृष्ट । अजघन्य का जघन्य र क्रोध शिला भेद पृथिवी भेद | धूलि रेखा । जल रेखा | मान | शैल अस्थि । काष्ठ । बेंत
बाँस की जड़ मेढ़े का सींग | गोमूत्र । किरमिची रंग चक्रमल | शरीर का मैल | हल्दी का रंग |
माया
खुरपा.'
| लोभ ।
* क्रोध, मान, माया व लोभ में से एक समय में एक का ही उदय
होता है।
* अंतर्मुहूर्त में उदय नियम से बदल जाता है। * बंध चारों का प्रति समय होता है।
नारकतैर्यग्योनमानुषदैवानि।।100 , सूत्रार्थ - नरकायु, तिर्यंचायु, मनुष्यायु और देवायु - ये चार आयु हैं।।10।।
आयु
तिथंचायु
मनुष्यायु
देवायु
नरकायु नारकी
तिर्यंच
मनुष्य
देव
के शरीर में रोके रखे
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