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________________ सप्तम अध्याय सचित्तनिक्षेपापिधानपरव्यपदेशमात्सर्यकालातिक्रमाः ||36 || सूत्रार्थ - सचित्तनिक्षेप, सचित्तापिधान, परव्यपदेश, मात्सर्य और कालातिक्रम - ये अतिथिसंविभाग व्रत के पाँच अतिचार हैं ।। 36 ।। अतिथि संविभाग व्रत (सभी आहार दान से सम्बन्धित) 152 सचित्त निक्षेप अपिधान *सचित्त *सचित्त द्वारा आहार को आहार रखना ढाँका परव्यपदेश 'अन्य की वस्तु है' - यह कह कर दान देना आशंसा (चाह) Jain Education International मात्सर्य अनादर से देना और अन्य दातार से ईर्ष्या करना जीवितमरणाशंसामित्रानुरागसुखानुबन्धनिदानानि || 37।। सूत्रार्थ - जीविताशंसा, मरणाशंसा, मित्रानुराग, सुखानुबन्ध और निदान - ये सल्लेखना के पाँच अतिचार हैं।] 37 || सल्लेखना अतिचार जीवित मरण मित्रांनुराग *जीने की *मरने की * मित्रों को याद करना सुखानुबंध पूर्व में भोगे भोगों का स्मरण करना • For Personal & Private Use Only कालातिक्रम भिक्षा काल का उल्लंघन करके दान देना भोगाकांक्षा आगामी भोगों की वांछा करना www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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