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________________ सप्तम अध्याय 149 गुणवतों के अतिचार - ऊर्ध्वाधस्तिर्यग्व्यतिक्रमक्षेत्रवृद्धिस्मृत्यन्तराधानानि।।30॥ सूत्रार्थ - ऊर्ध्वव्यतिक्रम, अधोव्यतिक्रम, तिर्यग्व्यतिक्रम, क्षेत्रवृद्धि और स्मृत्यन्तराधान - ये दिग्विरतिव्रत के पाँच अतिचार हैं।।30।। दिग्विरति व्यतिक्रम (मर्यादा का उल्लंघन) ऊर्ध्व अधो तिर्यग् क्षेत्रवृद्धि स्मृत्यन्तराधान * ऊपर * नीचे * 4 दिशा व * मर्यादा की हुई * मर्यादा को 4विदिशा दिशा के बढ़ाने याद नहीं का अभिप्राय रखना रखना आनयनप्रेष्यप्रयोगशब्दरूपानुपातपुद्गलक्षेपाः।।31।। सूत्रार्थ - आनयन, प्रेष्यप्रयोग, शब्दानुपात, रूपानुपात और पुद्गलक्षेप - ये - देशविरति व्रत के पाँच अतिचार हैं।।31॥ . देशविरति आनयन प्रेष्यप्रयोग शब्दानुपात रूपानुपात पुद्गलक्षेप मर्यादित क्षेत्र से बाहर की वस्तु दूसरे व्यक्ति दूसरे को खाँसी अपना रूप कंकर आदि मँगाना व को काम आदि इशारों से दिखा कार्य पुद्गल फेंक किसी को बताना अपना अभिप्राय करवाना कर अपना बुलाना बताना कार्य करवाना Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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