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________________ 108 शक्ति पञ्चम अध्याय सामान्य गुणों का स्वरूप गुण का नाम SURN स्वरूप |1. अस्तित्व गुण | द्रव्य का कभी नाश न हो। 2. वस्तुत्व गुण | द्रव्य में अर्थ क्रिया हो। 3. द्रव्यत्व गुण । द्रव्य सर्वदा एक-सा न रहे और जिसकी पर्यायें हमेशा | बदलती रहें। 4. प्रमेयत्व गुण के द्रव्य किसी न किसी के ज्ञान का विषय हो। द्रव्य की द्रव्यता कायम रहे, 5. अगुरुलघुत्व गुण | एक द्रव्य दूसरे द्रव्य रूप न परिणमे, | एक गुण दूसरे गुण रूप न परिणमे, | एक द्रव्य के अनेक गुण बिखरकर जुदे-जुदे न हो जावें। 6. प्रदेशत्व गुण द्रव्य का कुछ न कुछ आकार अवश्य हो। कारण पर्याय व्यंजन पर्याय . अर्थ पर्याय (प्रदेशत्व गुण का विकार) (प्रदेशत्व के सिवाय शेष गुणों का विकार) स्वभाव विभाव . स्वभाव विभाव व्यंजन पर्याय व्यंजन पर्याय अर्थ पर्याय अर्थपर्याय (बिना किसी (अन्य के (बिना किसी (अन्य के निमित्त के) निमित्त से) निमित्त के) निमित्त से) जसिद्ध पर्याय * नर, नारकी पर्याय, *केवलज्ञान * मति-श्रुत ज्ञान से *अणु * स्कंध Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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