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पञ्चम अध्याय
आकाशस्यावगाहः||18|| सूत्रार्थ - अवकाश देना आकाश का उपकार है।।18।।
आकाश का उपकार - मुख्य बिन्दु 1. समस्त द्रव्यों को अवगाह में आकाश साधारण कारण है। 2. यद्यपि मूर्तिक का मूर्तिक से व्याघात होता है, पर इससे आकाश की
अवगाह देने रूप सामर्थ्य नहीं नष्ट होती। 3. अलोकाकाश का भी अवगाह देने का स्वभाव है।
शरीरवाङ्मनः प्राणापानाः पुद्गलानाम्।।1।। सूत्रार्थ - शरीर, वचन, मन और प्राणापान - यह पुद्गलों का उपकार है।।1।।
पुद्गल का उपकार
शरीर
वचन
वचन
मन
प्राणापान
प्राणापान
5 प्रकार के
भाव वचन
द्रव्य वचन
भाव द्रव्य प्राण अपान मन मन । ।
उच्छवास श्वास
-पुद्गल कर्म से रचित
- पुद्गल कर्म से प्राप्त उपर्युक्त सभी पुद्गल का ही जीव पर निमित्तरूप उपकार है।
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