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________________ 88 . | 1 __ 12-16 | .92 23-24 102-103,106-108 (पञ्चम अध्याय) विषय-वस्तु सूत्र क्रमांक कुल सूत्रा पुष्ट सख्या । अजीवास्तिकाय के भेद 88-89 द्रव्य उनकी विशेषता व स्वरूप | 2-7 | 6 | 88-90 द्रव्यों की प्रदेश संख्या 8-11 | 4 | 91 द्रव्यों के रहने का स्थान (अवगाह क्षेत्र) . द्रव्यों का उपकार 17-22 6 93-96 पुद्गल का लक्षण व उसकी पर्यायें 97-99 पुद्गल के भेद व उत्पत्ति के कारण | | 25-28 / 4 100-101 द्रव्य, सत् व नित्य का लक्षण | 29-31,38 / 4 विरुद्ध धर्मों की एक वस्तु में सिद्धि 32 104 पुद्गल के बंध के हेतु व नियम | 33-37 | 5 | 104-106 | काल का वर्णन 39-40 | 2 109-110 गुण व पर्याय का स्वरूप . 41-42 | 2 ___ 111 कुल 42 अजीवकाया धर्माधर्माकाशपुद्गलाः।।।।। सूत्रार्थ - धर्म, अधर्म, आकाश और पुद्गल - ये अजीवकाय हैं।।1।। द्रव्याणि।।2।। सूत्रार्थ - ये धर्म, अधर्म, आकाश और पुद्गल द्रव्य हैं।।2।। जीवाश्च।।3।। सूत्रार्थ - जीव भी द्रव्य हैं।।3।। नित्यावस्थितान्यरूपाणि।।4।। सूत्रार्थ - उक्त द्रव्य नित्य हैं, अवस्थित हैं और अरूपी हैं।।4।। रूपिणः पुद्गलाः।।5।। सूत्रार्थ - पुद्गल रूपी हैं।।5।। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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