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*ब्रोध
*मन
मया
औलभ
43 108 जीव अधिकरण
तत्त्वार्थसूत्र (रेखाचित्र एवं तालिकाओं में)
साधारण भाव या
hip
वचनयोग काययोग
नयोग
जीव के असाधारण भाव नाम औपशमिक क्षायिक मिश्र औदयिक पारिणामिक अभेद
2918213
ध्यान
काय अजीव
दोनों
अप्रशस्त
षेत्र पर्वत (भरणदि (हिमवनादि (पद्मादि सरोवर। नदियाँ
गंगा
ऋजुगति पाणिमुक्ता लांगलिका गौमूत्रिका
आर्त
जीव
विग्रह गति
6)
रौट
प्रशस्त के
बंधके कौन से कारण होते है
पूर्व बंधे
धणे शव
>द्रव्य कर्म
यहाँ जीव कर्म के मंद उदय में पुरुषार्थ से इस चक्र को रोक सकता है।
का उदय
पुद्गल
सिर्फ प्रकृति, प्रदेशबंध
कर्म
नवीन द्रव्य कर्म बंध होता
जीव भावकर्म करता श्रोह गादि)
यो
।
यहाँ तक चा-प्रकार का बंध
अणवस
धर्म छह द्रव्य
अधर्म
|
आसव
DP
आसव
WAUT
वती
द्रव्यास्रव
भावास्रव
/
प्रत्यक्ष
साततत्व
अन
आकाश
जीव अजीव निक
आस्रव
___बंध
महाव्रती
विमानों में
संवर निर्जरा
मोक्ष
काल
कत पारिणामिक भावा
किर्मका अभाव
अभव्यत्व
भव्यत्व
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द्रव्य
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