________________
प्रास्ताविक : जैन आगमों में उत्तराध्ययन-सूत्र [ ५१ का अंग्रेजी प्रस्तावना और टिप्पणी के साथ संशोधित मूलपाठ, सेक्रेड बुक्स आफ द ईस्ट, भाग-४५ में याकोबी का अंग्रेजी अनुवाद, आर० डी० वाडेकर तथा एन. व्ही. वैद्य का संशोधित मूलपाठ, भोगीलाल सांडेसरा का मूल के साथ गुजराती अनुवाद, आत्मारामजी का मूल के साथ हिन्दी अनुवाद, आचार्य तुलसी का मूल के साथ हिन्दी अनुवाद आदि उत्तराध्ययन के महत्त्वपूर्ण संस्करण हैं।
इस तरह उत्तराध्ययन के इस विपुल व्याख्यात्मक टीकासाहित्य से इसके महत्त्व और लोकप्रियता का पता चलता है।
(ण) घेवरचन्द्र बांठिया के अनुवाद के साथ, सेठिया जैन ग्रन्थमाला, बीकानेर, सन् १९५३; (त) मुनि अमोलक के हिन्दी अनुवाद के साथ, हैदराबाद, जैन शास्त्रोद्धार मुद्रणालय, वी० सं० २४४६; (थ) मुनि त्रिलोक, आत्माराम शोध संस्थान, होशियारपुर, पंजाब, (पृथक-पृथक अध्ययन के रूप में प्रकाशित हो रहा है); (द) महावीर स्वामिनो अंतिम उपदेश के नाम से गुजराती छायानुवाद, गोपालदास ‘जीवाभाई पटेल, जनसाहित्य प्रकाशन समिति, अहमदाबाद, सन् १६३८; (ध) गुजराती अर्थ एवं कथाओं आदि के साथ (१-१५), जैन प्राच्य विद्या-भवन, अहमदाबाद, सन् १९५४; (न) मूल सुत्ताणि, संपादक-मुनि श्री कन्हैयालाल 'कमल', गुरुकुल प्रिंटिंग प्रेस, व्यावर, वि० सं० २०१०; (प) मुनि सौभाग्यचन्द्र सन्तबाल ( हिन्दी मात्र ), श्वे० स्था० जैन कान्फरेंस, बम्बई, वि० सं० १९९२; (फ) आर० डी० वाडेकर तथा एन० व्ही. वैद्य (मूलमात्र), पूना १९५४; (ब) जीवराज घेलाभाई दोशी (मूलमात्र), अहमदाबाद, सन् १६११; (भ) गुजराती अनुवाद-संतबाल, अहमदाबाद; (म) जयन्तविजय-टीका, आगरा, सन् १९२३; (य) आचार्य तुलसी-हिन्दी अनुवाद आदि के साथ, आगम अनुसन्धान ग्रन्थमाला, सन् १९६७; आदि । इन विविध संस्करणों के अतिरिक्त और भी अनेक. संस्करण, लेख आदि उत्तराध्ययन के विविध-विविध अंशों पर समय-समय पर प्रकाशित हुए हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org