________________
परिशिष्ट ४ देश तथा नगर
उत्तराध्ययन के विभिन्न स्थलों में कुछ देशों तथा नगरों का उल्लेख हुआ है। ये देश तथा नगर भौगोलिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तथा विचारणीय भी हैं। अधिकांश देश व नगर जो उस समय बड़े समृद्ध थे आज खण्डहर मात्र रह गए हैं। कुछ के नामों में परिवर्तन हो गया है और कुछ की ठीक-ठीक स्थिति अभी भी संदिग्ध है। कुछ अपनी प्राचीन गरिमा को आज भी किसी न किसी रूप में लिए हुए हैं। उत्तराध्ययन में आए हुए देशों व नगरों का परिचय अकारादि क्रम से इस प्रकार है : इषुकार नगर :
यहां के राजा का नाम था 'इषुकार'। इसका प्राकृत नाम 'उसयार' है । नियुक्तिकार ने इसे 'कुरु' जनपद का एक नगर माना है। राजतरंगिणी में भी 'हुशकपुर' का उल्लेख हुआ है। संभवतः कश्मीर की घाटी में वीहट नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित 'हुशकार' ( उसकार ) नगर ही उस समय का इषुकार ( उसुयार ) रहा हो।
१. उ० १४.१. २. उ० नि०, गाथा ३६५. ३. उद्धृत-उ० समी०, पृ० ३७७-३७८. ४. उत्तराध्ययन के इषुकार आख्यान से साम्य रखने वाली बौद्ध-जातक
( ५०६ ) की एषुकार कथा में एषुकार राजा को वाराणसी का राजा बतलाया गया है जिससे प्रतीत होता है कि वाराणसी या उसके आसपास का प्रदेश इषुकार रहा है। परन्तु ऐसी धारणा भ्रान्त है क्योंकि इषुकार और वाराणसी एक नहीं हैं । इषुकार कोई समृद्ध नगर रहा है।
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org