SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 515
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट ३ : साध्वाचार के कुछ अन्य ज्ञातव्य तथ्य [४८९ भयस्थान' ( Causes of danger )-चित्तोद्वेग का नाम भय है। इसके सात प्रकार गिनाए गए हैं : १. स्वजातीय जीव को स्वजातीय जीव से होनेवाला भय ( इहलोक भय ), २. परलोक भय, ३. धन के विनाश का भय, ४. अकस्मात् अपने आप सशंक होना ( अकस्मात् भय ), ५. आजीविका का भय, ६. अपयश का भय और ७. मृत्यु का भय । भयवाला व्यक्ति सदाचार में प्रवृत्ति नहीं कर सकता है। अतः साधु को सब प्रकार के भय का त्याग करना आवश्यक है । क्रियास्थान ( Actions-Productive of Karman )जिस प्रवत्ति से कर्मों का आस्रव हो उसे क्रियास्थान शब्द से कहा गया है। इसके तेरह भेद गिनाए गए हैं : १. प्रयोजनपूर्वक की गई हिंसादि में प्रवत्ति, २. प्रयोजन के बिना की गई हिंसादि में प्रवृत्ति, ३. प्रतिपक्षी को मारने के लिए की गई प्रवृत्ति, ४. अनजाने में हुई प्रवृत्ति ( अकस्मात् क्रिया), ५. मतिभ्रम से की गई हिंसादि में प्रवृत्ति ( दृष्टिविपर्यास क्रिया ), ६. झूठ बोलना, ७. चोरी करना, ८. बाह्य निमित्त के अभाव में शोकादि करना ( आध्यात्मिक क्रिया ), ६ मान क्रिया, १०. प्रियजनों को कष्ट देना, ११. माया क्रिया, १२. लोभ क्रिया और १३. संयमपूर्वक गमन। इनमें आदि के १२ क्रियास्थान हिंसादिरूप होने से सर्वथा त्याज्य हैं और अन्तिम क्रियास्थान समितिरूप होने से उपादेय है परन्तु सदाचार की चरमावस्था ( अयोग केवली की अवस्था ) में वह भी हेय ही है क्योंकि प्रत्येक क्रिया से शुभ अथवा अशुभ कर्मों का आस्रव तो होता ही है। इसीलिए ध्यान तप की चरमावस्था में श्वासोच्छ्वास जैसी सूक्ष्म क्रिया का भी निरोध बतलाया गया है। असंयम' ( Neglect of self-control )-संयम का अर्थ है-सावधानी ( नियन्त्रण ) तथा असंयम का अर्थ है-असावधानी १. उ० ३१.६; समवा०, समवाय ७. २. उ० ३१.१२; समवा०, समवाय १३. ३. उ० ३१.१३; समवा०, समवाय १७. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy