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________________ ४५२ ] उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन केश - विपुल जलप्रवाह में बहते हुए प्राणियों के लिए शरणरूप द्वीप कौन-सा है ? गौतम - जरा-मरणरूपी जलप्रवाह में डूबते हुए प्राणियों के शरण के लिए संसाररूपी समुद्र के मध्य में एक उत्तम द्वीप है जिसका नाम है धर्म | वहाँ महान् जलप्रवाह की जरा भी गति नहीं है । - केशि - महाप्रवाहवाले समुद्र में विपरीत बहनेवाली नौका पर सवार होकर तुम उस पार ( तीर- प्रदेश ) कैसे जा सकोगे ? गौतम - जो नौका छिद्र ( आस्रव - जलागम ) वाली होती है वह डूब जाती है परन्तु जो नौका छिद्ररहित ( निरास्रव - जलागम से रहित) होती है वह तीर- प्रदेश पहुँच जाती है । मैं छिद्ररहित नौका पर सवार हूँ । अतः तीर- प्रदेश पहुँच जाऊँगा । यहाँ शरीर नौका हैं. जीव नाविक है, संसार समुद्र है, कर्म जल है और मुक्ति तीरप्रदेश है । 1 केशि- बहुत से प्राणी घोर अन्धकार में स्थित हैं । उन्हें कौन प्रकाशित करेगा ? गौतम - मिथ्यात्वरूपी अज्ञानान्धकार में स्थित प्राणियों को प्रकाशित करनेवाला सर्वज्ञ जिनेन्द्ररूपी निर्मल सूर्य उदित हो गया है । वही उन्हें प्रकाशित करेगा । केशि - शारीरिक व मानसिक दुःखों से पीड़ित प्राणियों के लिए शिवरूप व बाधारहित स्थान कौन-सा है ? गौतम - लोकाग्र में जरा - मरणरूपी समस्त बाधाओं से रहित तथा शिवरूप एक स्थान है जिसे निर्वाण (सिद्धलोक ) कहते हैं । इस प्रकार सर्वश्रुतपारगामी गौतम से अपने सभी प्रश्नों का सयुक्तिक उत्तर पाकर केशि ने गौतम को नमस्कार किया तथा अपनी शिष्यमण्डली के साथ महावीरप्रणीत धर्म को अङ्गीकार किया । वहाँ उपस्थित सारी परिषद् ने उन दोनों की स्तुति की। १. पार्श्वनाथ और महावीर के शिष्यों के बीच हुए इस प्रकार के परिसंवादों के उल्लेख अन्य आगम ग्रन्थों व टीका ग्रन्थों में भी मिलते हैं । देखिए - आचार्य तुलसी, उ० भाग १, पृ० २६६-३००, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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